देवी दुर्गा मां....
आज दिनांक १५.१०.२३ को प्रदत्त स्वैच्छिक विषय पर प्रतियोगिता वास्ते मेरी प्रस्तुति:
देवी दुर्गा मां....( दोहा छन्द )
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आन पधारो हृदय मे,बिगड़े हैं सब काज।
धरती-अम्बर लाल हैं,मात सम्हालो काज।।
कितने असुर निर्भय हुए,असुरों का है राज ।
मां आओ तुम अवनि पर,करो समाप्त कुराज ।।
तुम्ही सम्हालोगी मां,तुम पर मुझको विश्वास, ।
जगत माता हो तुम्हीं ,तुम से सबकी आस।।
आज से ही हैं पर्व तिहारे,,नव दिन का त्योहार।
नव दिश गूजेंगे भजन, हर दिन मन्त्रोच्चार।।
न मैं जानू पूजन-अर्चन, न कोई मन्त्रोच्चार।
न मैं जानू आरती, श्रद्धा से अर्पित हार ।।
मां देवी का नाम सुन, छोड़ें असुर शरीर,
मां की मुद्रा क्रोध मे, हो जाती गम्भीर।
आनन्द कुमार मित्तल, अलीगढ़
Mohammed urooj khan
16-Oct-2023 04:24 PM
👌👌👌👌
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Shashank मणि Yadava 'सनम'
16-Oct-2023 08:28 AM
सुन्दर सृजन
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Abhinav ji
16-Oct-2023 07:34 AM
Very nice 👍
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